झांसी। चिन्मय मिशन के वरिष्ठ संत पूज्य स्वामी गंगेशानंद जी सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के उपलक्ष्य में सदर बाजार स्थित सभागार में श्रद्धांजलि सभा एवम् चिन्मय गुरुदेव चिन्मयानंद स्मृति आराधना दिवस का आयोजन किया गया। इसमे चिन्मय मिशन झांसी के कार्यकारी अध्यक्ष श्री आर पी गुप्ता और श्री डी के गुप्ता के प्रायोजन में विधिवत् पादुका पूजा की गई। प्रायोजक के साथ श्री चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी, ईo मुकेश गुप्ता, मेघना गुप्ता, नुपुर श्री वास्तव, कृष्णा सक्सेना आदि ने दीप प्रज्जवलन किया। इस अवसर पर सर्व श्री मुकेश गुप्ता, चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी, आर पी गुप्ता, वी के गुप्ता,दीपक कपूर, एम एल सिरोठिया आदि ने पूज्य स्वामी के प्रति अपने उद्गार प्रकट कर उनके प्रति कृतज्ञता अर्पित की।
मिशन के सदस्यो में श्री आर पी गुप्ता, देवेंद्र गुप्ता, अशोक अग्रवाल, श्री वी के सेठ, वरिष्ठ समाज सेविका रजनी गुप्ता ने गुरुदेव को श्रद्धांजलि और गुरु महिमा पर अपने अनुभव साझा किए। ब्रह्मचारी राघवेंद्र चैतन्य ने पूज्य स्वामी गंगेशानंद जी की कृपा और महिमा का स्मरण करते हुए बताया कि पूज्य स्वामी जी का जन्म नेमीशरण्य तीर्थ के पावन क्षेत्र में 1968 में नियम निष्ठ ब्राह्मण परिवार में हुआ।उन्होंने कानपुर विश्व विद्यालय से कॉमर्स में स्नातक, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से संस्कृत मे शास्त्री और संपूर्णानंद विश्व विद्यालय से सुवर्ण पदक के साथ आचार्य उपाधि प्राप्त की। पूर्व पुण्य के फलस्वरूप उनको चिन्मय मिशन में 1992 से 1995 के मध्य 5 वें वेदांत प्रशिक्षण का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिसमें उनके आचार्य वेदांत के मूर्धन्य विद्वान आदरणीय पूज्य स्वामी सुबोधानंद जी रहे। प्रशिक्षण अवधि में आपको महान संत पूज्य स्वामी चिन्मयानंद जी का दर्शन श्रवण का लाभ भी मिला। पूज्य स्वामी चिन्मयानंद जी के ब्रह्मलीन होने पर उनके समाधि स्थल पर नित्य पूजा का पुण्य लाभ भी स्वामी जी को ही मिला। प्रशिक्षण उपरांत गुरुजी स्वामी तेजोमयानंद जी द्वारा आपको ब्रह्मचारी दीक्षा प्रदान की गई और आपका नाम ब्रह्मचारी विश्वेश चैतन्य हुआ । आपकी नियुक्ति कानपुर शहर केंद्र पर की गई। 2009 में आपको सन्यास दीक्षा प्राप्त हुई और आपका दीक्षित नाम स्वामी गंगेशानंद जी सरस्वती हुआ। आपके आचार्यत्व मे सांदीपनी हिमालय गुरुकुल में 2 वेदांत प्रशिक्षण सत्र, कानपुर मांधना मे 2 पुरोहित प्रशिक्षण सत्र, 3 त्रैमासिक साधक सत्रों के साथ साथ सम्पूर्ण देश में अनेक गीता, उपनिषद्, रामायण भागवत वेदान्त आदि पर 300 से अधिक ज्ञान यज्ञ हुए। झांसी नगर में भी आपके कई सत्संग सत्र आयोजित हुए।हिंदी की एक मात्र मासिक पत्रिका चिन्मय चंद्रिका का संपदान भी आपके द्वारा निरंतर किया गया। आपके सानिध्य द्वारा ही कई हिंदी पुस्तकों का प्रकाशन हुआ। आपके प्रयास से लखीमपुर मे मे मिशन का एक आश्रम स्थापित हुआ। 2021 में आपको प्रयागराज केन्द्र की सेवा भी प्रदान की गई।अपना सर्वस्व सेवा में समर्पित कर आप 27 जुलाई 2024 को ब्रह्म मुहूर्त में प्रयागराज के पावन संगम क्षेत्र में अपने त्तात्विक स्वरूप में समा गए। मानस मर्मज्ञ श्री चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी जी और कार्यकारी अध्यक्ष श्री आर पी गुप्ता ने चिन्मय परिवार झांसी की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि समर्पित की। इस सभा में उपस्थित वी के गुप्ता, एम एल सिरोठिया, एस एन गुप्ता, आर पी शर्मा, आर सी गुप्ता,, एस पी गुप्ता जे पी सारावगी शिशिर बाला गुप्ता,रजनी अग्रवाल मेघना गुप्ता अशोक अग्रवाल, हरि प्रकाश श्री वास्तव बी एल नामदेव श्रवण कुमार पांडे आर के सिन्हा विनोद सरावगी,नुपुर श्री वास्तव,मेघना गुप्ता,कुसुम गुप्ता बृज किशोर, विनय गुप्ता, रीना गिरि दीपक कपूर सीमा कपूर आदि के साथ साथ बाल विहार और युवा केंद्र के अनुज यश कार्तिक प्रियंका काव्या युवराज कृष्णा हर्ष आदि साधकों ने भी अपने श्रद्धांजलि अर्पित की। चिन्मय आरती के साथ समागम का समापन हुआ।
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