राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की जयंती पर उत्तराचल यूनिवर्सिटी देहरादून के प्रोफेसर अनिल कुमार दीक्षित ने देश में शिक्षा व्यवस्था में हो रहे मूलभूत परिवर्तन का उल्लेख करते हुए, नई शिक्षा नीति एवं यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा में व्यवसाइक निपुणता को केंद्रीय पृष्ठभूमि में रखने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इसके दूरगामी प्रभाव छात्रों के भविष्य को निश्चित उज्जव्ल करेंगे l
डाo अनिल दीक्षित ने बताया कि यूजीसी ने स्नातक एवं परास्नातक के पाठ्यक्रमों में जो शिथिलता का समावेश किया है वो एक सराहनीय कदम है
नई शिक्षा नीति में सुझाए गये नियमों में नए क्रेडिट मानकों के अंतर्गत इच्छुक छात्र अपने मूल विषयो के साथ साथ प्रोफेशनल विषयों को भी क्रेडिट सिस्टम के तहत पढ़ सकता है l जैसे कि इतिहास विषय का छात्र एकेडमिक क्रेडिट को अपना कर प्रबंधन (मैनेजमेंट) जैसे विषय भी साथ में पढ़ सकता है l
वर्तमान में 40 लाख के करीब, बीए एवं बीकॉम डिग्री के छात्र अब अपने मूल विषय के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, वित्त प्रबंधन, बैंकिंग, इन्शुरेन्स आदि विषय पढ़ कर अपने क्रेडिट में इज़ाफ़ा कर सकते है ताकी उन्हें रोजगार पाने में उनकी डिग्री, उनकी निपुणता में बाधक ना बने l
इतना ही नहीं शिक्षा मंत्रालय ने अब रेगुलर कोर्स के साथ में “SWAYAM” के ऑनलइन सर्टिफिकेट कोर्स भी मान्य कर दिये है और इन्हे भी क्रेडिट में जोड़ दिये है जिनका संचालन देश के सातों आई.आई.टी. उच्च संस्थान कर रहे है l
डा. दीक्षित ने कहा कि समय आ गया है कि हर छात्र उच्च कौशल को प्राप्त करने हेतु इस दिशा में अग्रसर हो ता कि उसका भविष्य उज्ज्वल हो तभी देश भी विश्व परिदृश्य में पहचान बना पायेगा