झाँसी | अभी तक आपने सुना होगा कि किसी को बार-बार हाथ धोने या सफाई की लत होती है या कुछ लोग पशु-पक्षी से वह कहते हैं अथवा बात-बात पर उत्तेजित हो जाते हैं| लेकिन, शहर के एक नौ वर्षीय बालक को ऐसी ओबेसेसीव कंपलिसीब डिसऑर्डर हुआ कि आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे| यह बालक चिंटा बिन बिन कर खाता था| जब चिंटा मुंह में काटता तो उसे दर्द होने के बजाय मिठाई खाने का एहसास होता| करीब 1 साल तक काउंसलिंग व उपचार के बाद अब उसे राहत मिली है|
मंडली मनोवैज्ञानिक केंद्र के डॉक्टर मनीष मिश्रा ने बताया की नई बस्ती के 9 वर्षीय बालक को मीठा बहुत अच्छा लगता था| परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के वजह से वह मौका लगते ही घर में रखी चीनी आदि खाता रहता था| एक दिन उसके घर मिठाई आई जिस पर कुछ देर में चिंटे लग गए| उसके मन में ख्याल आया कि चिंटा केवल मीठा खाता है, जब उसे खाएंगे तो और अधिक मिठास का एहसास होगा |
इसके बाद उसने बिन बिन कर चिंटा खाना शुरू कर दिया| परिजनों ने हर संभव कोशिश कर उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह उत्तेजित हो जाता था| मनोचिकित्सा को दिखाया, मगर दबाव से फायदा नहीं हुआ|
मनोचिकित्सक ने उसे मंडली मनोविज्ञान केंद्र रेफर कर दिया | चार बार उसकी काउंसलिंग की, मगर उसने एक शब्द नहीं बोला| छठवीं काउंसलिंग के समय उसने अपना नाम आदि बताना शुरू किया| धीरे-धीरे उसने चिंटा खाने की वजह का खुलासा किया| इसके बाद काउंसलिंग के साथ उपचार दिया तब कहीं जाकर अब वह सही हुआ है|
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जब 9 साल के बच्चे को लगी चीटा खाने की लत
