शालिनी का अंदाज और सोच आपको आश्चर्यचकित कर देगी

झांसी 18 सितम्बरः अपने बुजुर्ग एक कहावत कह गये हैं। पूत के पांव पालने मे  नजर आते हैं। बेटियां एक नहीं पूरे समाज को रोशन करती हैं। हम इन कहावतांे को इसलिये कह रहे हैं,  क्योकि  नगर की एक बेटी की सोच समाज को नयी दिशा देने का तो काम कर ही रही है, साथ ही यह भी बता रही है कि आपके सहयोग के कई लोगों  को जरूरत है।

झांसी के प्रख्यात व्यापारी किशनलाल ख्यानी की पुत्री श्रीमती शालिनी गुरूबख्शानी की कहानी हम आपको बताते हैं। शालिनी बचपन से ही अलग सोच और अंदाज मे  जीने की इच्छा रखती थीं। पिता की लाड़ली बेटी को शादी के बाद आगे बढ़ने का हौसला देने वाले पति के रूप मे  अशोक गुरूबख्शानी मिले। जीवन मे  पारिवारिक दायित्व को निभाते हुये शालिनी ने अपने बेटों  को मुकाम दिया।

उन्हे  हर पल समाज के प्रति अपने दायित्व निभाने की चिंता रहती थी। महिला होने के नाते समस्या यह थी कि समाज के मुददे कैसे हल हों । शालिनी की इस मंशा को पिता से बेहतर कौन समझ सकता था। उन्हांेने शालिनी को व्यापार मंडल से जोड़ दिया।

इसके बाद तो जैसे शालिनी के हौसलो  को नयी उड़ान मिल गयी। उन्हांेने गरीबो  की मदद से लेकर व्यापार मे  महिलाओ  की भागीदारी  के मुददे पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उप्र व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय पटवारी के साथ महिला व्यापार मंडल मे  जिम्मेदारी निभाने वाली श्रीमती शालिनी ने बीते दिनो  एक गरीब परिवार को साल भर का राशन दिया था।

बीते रोज उन्होने गरीब परिवारो  को कमजोर आर्थिक स्थिति से उबारने के लिये नयी पहल की। शालिनी ने कुछ परिवारो  को लिफाफा, अचार आदि बनाने का काम सिखाया। मकसद यह है कि यदि एक परिवार इस काम से कुछ आमदनी करता है, तो उसके जीवन की परेशानियो  को काफी कम किया जा सकता है। शालिनी की यह सोच प्रदर्शित करती है कि हमे  समाज के उस वर्ग को अपने साथ लेना होगा, जो आश्रय के लिये परेशान है। उसे राजनैतिक संरक्षण तो नहीं मिल पाता।

सामाजिक संगठनो  तक वो पहुंच नहीं पाते। यदि सामाजिक संगठन ऐसे लोगों  को तज्जबो देते हैं, तो तीज त्योहारो  पर। ऐसे मे  शालिनी के समाज के निम्न वर्ग के उद्वार के लिये किये जा रहे प्रयास उभे  दूसरो  से अलग बनाने के साथ प्ररेणादायी बना देते हैं।

मार्केटसंवाद की पूरी टीम श्रीमती शालिनी गुरूबख्शानी और उनकी सहयोगियो  को सलाम करता है।

 

 

 

 

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