झांसीः दुःखद, दुःखद, बेहद दुःखद! झांसी के लिये यह सबसे बड़ी दुःखद खबर है कि एक होनहार और जादुई हस्ती युवा पत्रकार गरिमा अग्रवाल का सड़क हादसे मे निधन हो गया। क्या कहे, शायद कुदरत अच्छे लोगो को धरती पर ज्यादा देर तक अमानत के रूप मे नहीं रहने देती। इससे इतर यह भी सच है भले की गरिमा अब इस दुनिया मे नहीं है, लेकिन उनके शब्दो का तिलिस्म उन्हे सदियो तक हर दिल मे जिंदा बनाये रखेगा।
झांसी की पत्रिकारिता मे होनहार लोगो की बेहद कमी है। खासकर आज की नौजवान पीढ़ी मे पूरी सीख के साथ पत्रकारिता धर्म निभाने का जज्बा कम लोगो मे देखने को मिल रहा है।
ऐसे मे दैनिक जागरण मे कार्यरत गरिमा अग्रवाल बुन्देली माटी के लिये नयी उम्मीद और आशा का संचार करते हुये अपने शब्दो से नयी मंजिल की ओर बढ़ रही थी।
गरिमा अग्रवाल मूलतः छतरपुर की रहने वाली थी। पिता मोहन लाल अग्रवाल की लाड़ली संतान गरिमा इन दिनो सिविल लाइन्स मे किराये से रह रही थी। कलम, कला और कृपाण की धरती बुन्देली माटी मे गरिमा ने चंद दिनो मे ही शोहरत की बुलंदियो को छूना शुरू कर दिया था।
आपने मार्मिक शब्दो को खबर मे पिरोकर उसे जादुई बना देने की कला मे महारत हासिल रखने वाली गरिमा से मार्केटसंवाद की कभी मुलाकात नहीं हुयी। हां, उनके विजन और लेखनी का मार्केटसंवाद हमेशा कायल रहा।
बाजार रिपोटिंग को नये अंदाज मे पेश करने की चुनौती को गरिमा ने बखूबी निभाया। कला, संस्कृति, सामाजिक सरोकार के मुददो पर गरिमा की अच्छी पकड़ थी।
बीते रोज गरिमा के अंतिम समय का जैसे निर्धारण हो गया था। काल किसको कब कहां और किस रूप मे बुला ले, पता नहीं होता।
गरिमा भी कल एक समारोह मे शामिल होने के लिये शिक्षक ब्रजेश सिंह के साथ बाइक पर सवार होकर जा रही थी। रक्सा-बबीना राजमार्ग पर बाजना ब्रिज के पास तेजी से आ रही कार ने बाइक को टक्कर मार दी, जिससे दोनो घायल हो गये। मेडिकल मे चिकित्सको ने गरिमा को मृत घोषित कर दिया। यह खबर मीडिया ही नहीं पूरे बुन्देलखण्ड मंे शोक की लहर लेकर आयी।
गरिमा की मौजूदगी का एहसास हम समारोह मे होने वाली रिपोटिंग, आंख के सामने खबर आने और यादो मे करते रहेगे। मार्केटसंवाद ईश्वर से प्रार्थना करता है कि युवा गरिमा के निधन से परिजनो को हो रही पीड़ा सहने की शक्ति प्रदान करने के साथ उनकी आत्मा की शान्ति दे।