महाकुंभ प्रयागराज 2025 एवं मिशन शक्ति के अंतर्गत राई लोकनृत्य कार्यशाला का हुआ समापन
झाँसी। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश एवं आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में महाकुंभ प्रयागराज 2025 एवं मिशन शक्ति के अंतर्गत राई लोक नृत्य प्रस्तुति परक कार्यशाला के समापन समारोह का आयोजन आर्य कन्या महाविद्यालय में किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपर आयुक्त (न्याय) प्रियंका उपस्थित रहीं एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी डॉ० संदीप सरावगी ने की। अन्य अतिथियों के रूप में प्रो० सुशील बाबू (क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी शिक्षा विभाग), प्रो० अलका नायक (प्राचार्या आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय झॉसी कार्यकम संयोजिका), प्रो० एस० के० राय (प्राचार्य बुन्देलखण्ड महाविद्यालय झॉसी), प्रो० टी० के० शर्मा (प्राचार्य विपिन बिहारी महाविद्यालय झाँसी), उपमा पाण्डेय (जिला विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष), हरगोविन्द कुशवाहा (उपाध्यक्ष बौद्ध संस्थान, राज्य मन्त्री दर्जा प्राप्त उ०प्र०), पन्नालाल असर (लोकभूषण / उ०प्र० से लोकभूषण उपाधि प्राप्त), कीर्ति (क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी, झाँसी), मनोज गुप्ता (निर्देशन, जिला संग्रहालय, झॉसी) एवं विद्यालय प्रबंधन कमेटी से डॉ० चन्द्रपाल यादव जी (प्रबन्धक), डॉ० के० जी० द्विवेदी (अध्यक्ष, प्रबन्ध समिति), डॉ० केशभान पटेल (उपप्रबन्धक), डॉ० राजेन्द्र सिंह (उपाध्यक्ष), डॉ० लखन लाल श्रीवास्तव जी (कोषाध्यक्ष), डॉ० प्रदीप तिवारी (अध्यक्ष, बुन्देलखण्ड विकास पर्यटन एवं पुरातत्व समिति, झाँसी), मनोज सक्सेना (संस्कृति विभाग), नीति शास्त्री (वरिष्ठ समाज सेविका), डॉ० जी० एस० अर्गल (नेत्र रोग विशेषज्ञ), देवराज चतुर्वेदी (कार्यक्रम समन्वयक), वन्दना कुशवाहा (प्रशिक्षिका राई नृत्य) उपस्थित रहे। मंच से संबोधित करते हुए डॉ० संदीप ने कहा राई नृत्य बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नृत्य है, हमारा बुंदेलखंड अनादि काल से ही साहित्यिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध क्षेत्र रहा है। वर्तमान में हमारी कई परंपरायें विलुप्ति के कगार पर हैं कई संस्थाओं एवं प्रदेश सरकार द्वारा इसे पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में एक प्रस्तुतिपरक कार्यशाला का आयोजन आर्य कन्या महाविद्यालय में किया गया जो एक सराहनीय कदम है हम सभी बुंदेलखंड वासियों का दायित्व है राई लोक नृत्य को बढ़ावा देने के लिए हमें विवाहों, जन्मदिवस आदि अवसरों पर इस तरह की कार्यक्रमों का आयोजन करते रहना चाहिए जिससे हमारी संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके हमारा संगठन संघर्ष सेवा समिति जल्द ही इस विषय पर काम शुरू करने जा रहा है।