पेटिंग इनके खून मे हैं

झांसीः कहते है कि कलाकार बनते नहीं, पैदा होते हैं। ऐसे ही एक कलाकार से हम आपको मिलाने जा रहे हैं। इनके खून मे ही पेटिंग समायी हुयी है। हमारे संवाददाता देवेन्द्र कुमार व रोहित जाटव ने चन्द्रभान पांचाल से मुलाकात की। इनकी कहानी बहुत रोचक है।

बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुये चन्द्रभान ने बताया कि वो तहसील गरौठा के ग्राम सिंगार के रहने वाले हैं। कक्षा 12 की पढ़ाई एसपीआई इंटर कालेज से की। इसके बाद आईजीटी जसन्वतनगर इटावा से किया। अपने संघर्ष की कहानी बताते हुये चन्द्रभान ने कहा कि उन्होने सन 1982 से 84 तक दैनिक भास्कर मे पेस्टिंग का काम किया। इसके बाद पायल बीड़ी कंपनी मे पंेटर के पद पर कार्य किया। हमने अपने गुरू श्री किशन सोनी से पंेटिंग का काम सीखा। इस दौरान राजकीय संग्रहालय मे भी काम किया।

राजकीय संग्रहालय मे अधिकांश मूर्तियां हमारे द्वारा बनायी गयी हैं। इसके अलावा झांसी के जैनसमाज के मंदिर, करगुवांजी, बड़ा मंदिर, गुदरी का मंदिर, नया मंदिर, कटरा मंदिर, सदर बाजार का मंदिर, सीपरी बाजार का मंदिर आदि मे मेरे हाथांे से तैयार की गयी पेटिंग आदि लगी हुयी हैं। शंकरजी का मंदिर, सागर गेट मंदिर मे भी पेटिंग-चित्रकला तैयार की है। नगर विधायक रवि शर्मा, पूर्व मंत्री प्रदीप जैन, पूर्व सांसद पं. विश्वनाथ शर्मा, कैलाश चन्द्र जैन द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।उन्होने बताया कि वो जन उदय संगठन रजि. सेवा संस्थान मे सदस्य है। इसके अलावा परस्पर सहयोग समिति से भी जुड़े हैं।

हम लोग परस्पर सहयोग की भावना से समाजसेवा का काम करते हैं।चन्द्रभान ने बताया कि वो अपनी कला किसी गरीब व असहाय बच्चों को दूंगा, ताकि उनका भविष्य बनंे। नगर के ऐसे कलाकार को हमारा सलाम।

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